फ्लैट और रिड्यूसिंग इंटरेस्ट क्या है | Flat Vs Reducing Interest in Hindi

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फ्लैट और रिड्यूसिंग इंटरेस्ट क्या है | Flat Vs Reducing Interest in Hindi

दोस्तों, अगर अपने कभी बैंक या फाइनेंस कंपनी से लोन लिया है, तो आपके मन में जरूर ये सवाल आता होगा के ये फ्लैट और रेडूसिंग इंटरेस्ट रेट क्या है और इसे कैसे कैलकुलेट किया जाता है। पर क्या आपको पता है। ब्याज की दर की कैलकुलेशन कई प्रकार से की जाती है। और हम मान बैठते है की जो बैंक ने ब्याज का हिसाब लगाया होगा, वह सही ही होगा। क्योंकि बैंक के पास आरबीआई का लाइसेंस है और वह लोन पर जो ब्याज लगाती है, वह वाजिव है। पर यह पूरी तरह सही नहीं क्योंकि ज्यादातर बैंक और फाइनेंस कंपनी रेडूसिंग इंटरेस्ट रेट ही लगाती हैं। पर कई बार कुछ फाइनेंस कंपनी अधिक ब्याज चार्ज करती हैं, इसे हम फ्लैट रेट ऑफ़ इंटरेस्ट भी कहते हैं। तो आज हम जानेगे फ्लैट और रेडूसिंग रेट ऑफ़ इंटरेस्ट में क्या है, बैंक कितने प्रकार से ब्याज की कैलकुलेशन करती है। और ” flat vs reducing interest “ रेट में क्या अंतर होता है।

ब्याज दर की जानकारी से अपडेट रहें, जिससे अगली बार लोन लेने से समय इन जरूर सवालों को नजरअंजाद न करें और गैरवाजिव ब्याज से बच सकें। और लोन एग्रीमेंट साइन करने से पहले लोन से जोड़ी हुई सभी कंडीशंस को समज सकें। जिससे भविष्य में किसी गैर जरुरी विवाद से बच सकें। थोड़ी सी समझदारी से आप अपने बहुत सरे पैसे बचा सकते हैं, जो भविष्य में आपके और आपके परिवार के काम आएं।

रिड्यूसिंग रेट ऑफ इंटरेस्ट क्या होती है? (What is reducing rate of interest?)

रिड्यूसिंग रेट ऑफ इंटरेस्ट आपको नाम से ही पता चल रहा है। रिड्यूसिंग का मतलब घटते क्रम में, इसलिए ब्याज भी घटते क्रम में लगता है। जैसे जैसे मूल धन कम होता जायेगा वैसे वैसे आपकी ब्याज भी कम लगेगी। कम ब्याज लगने के कारण मूल धन ज्यादा जमा होता है और लोन एक निश्चित समय सीमा में पूरा होता है।

चलो समझते हैं रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट क्या है : मान लेते हैं आपने 100000 रुपए किसी से उधार लिए 1 रूपए (12% सालाना) ब्याज दर पर। जिसकी 24 महीने की किस्त 4707 रुपए आयेगी। यह किस्त मूल और ब्याज दोनों मिला कर है। आपको 24 महीने में 112976 रुपए देने हैं। इसका मतलब आपका ब्याज 12976 रुपए लगी और आपका 100000 रुपए भी चूक गए। अब 24 महीने बाद आपका पूरा पैसा ब्याज सहित चूक गया है। और आपकी किस्त भी बंद हो चुकी है।

रिड्यूसिंग इंटरेस्ट कैलकुलेशन: Reducing Interest Calculation

S.NoMonthly InstallmentInterestPrincipalBalance
0   100000
147071000370796293
24707963374492548
34707925378288766
44707888382084947
54707849385881089
64707811389677192
74707772393573257
84707733397569282
94707693401565268
104707653405561213
114707612409557118
124707571413652982
134707530417848804
144707488421944585
154707446426240323
164707403430436019
174707360434731672
184707317439127281
194707273443522847
204707228447918368
214707184452413844
22470713845699275
2347079346154661
2447074746610

100000 रुपए जो अपने किसी से उधार लिए। 4707 रुपए की किस जो 24 (दो साल) महीने देनी है। 4707*24= 112976 ये पैसे 24 महीने में अपने दिए। जिसमें से 100000 रुपए मूल और 12976 ब्याज है।

रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट में जो मूलधन हर महीने बच जाता है केवल उसे पर ब्याज लगता है। इसलिए ब्याज भी कम लगता है। और निर्धारित समय पर आपका लोन चुक जाता है।

फ्लैट रेट ऑफ इंटरेस्ट क्या होती है? (What is flat rate of interest?)

सभी सरकारी और प्राइवेट बैंक रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट पर लोन देते हैं पर छोटी फाइनेंस कंपनी या छोटे फाइनेंसर फ्लैट रेट पर लोन देते हैं। जिसमें ब्याज मूल दोनो हिसाब अलग अलग रहता है। इसका मतलब ये है कि आप मूल और ब्याज अलग अलग भी दे सकते हैं। अगर आप केवल ब्याज देना चाहते हैं तो ब्याज ब्याज देते रहे मूल रकम वही रहेगी जो अपने ले थी।

मान लेते हैं अपने किसी से 100000 रुपए 1 रुपे (12% सालाना) की ब्याज दर से लिए। और आप उसको 1000 रुपए हर महीने ब्याज देनी हैं तो अपने 12 महीने में 12000 ब्याज देदी पर मूल रकम वहीं की वहीं है। आप और 1 साल ब्याज देंगे तो भी मूल रकम वहीं रहेगी। जब तक आपके पास एक मुश्त 100000 रुपए नहीं होंगे तब तक ये ब्याज चलती रहेगी।

फ्लैट इंटरेस्ट कैलकुलेशन: Flat Interest Calculation

S.No.Monthy InstallmentInterestPrincipal
15,1671,0004,167
25,1671,0004,167
35,1671,0004,167
45,1671,0004,167
55,1671,0004,167
65,1671,0004,167
75,1671,0004,167
85,1671,0004,167
95,1671,0004,167
105,1671,0004,167
115,1671,0004,167
125,1671,0004,167
135,1671,0004,167
145,1671,0004,167
155,1671,0004,167
165,1671,0004,167
175,1671,0004,167
185,1671,0004,167
195,1671,0004,167
205,1671,0004,167
215,1671,0004,167
225,1671,0004,167
235,1671,0004,167
245,1671,0004,167
Total124,00024,000100,000

> 100000 रुपए 1 रूपे ब्याज पर लिए। जिसका ब्याज 1000 रुपए हर महीने देना है। =1000*24 =24000 रुपए और 100000 रुपए मूल और 24000 रुपए इंटरेस्ट मिला कर 124000 रुपए देने है। और अगर आपके पास 100000 रुपए नहीं है। तो ब्याज और चल सकता है। इस लोन में आपको रेडूसिंग ब्याज दर से लगभग दुगना ब्याज देना पड़ा है।

अब आपको समझ में आ गया होगा कौन सी ब्याज आपके लिए सही है। इसलिए लोन लेते समय इस बात का ध्यान रखें के आपकी ब्याज दर रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट फॉर्मूले से ही लगे ।

प्राइवेट फाइनेंस कंपनी फ्लैट इंटरेस्ट रेट क्यों लेती है? (Why do private finance companies charge flat interest rates?)

प्राइवेट फाइनेंस कंपनी फ्लैट इंटरेस्ट रेट लेती हैं इसके कई कारण है।

  1. क्योंकि सभी बैंक लंबी अवधि के लिए लोन देती हैं। अगर किसी व्यक्ति को कुछ महीने के लिए पैसे उधार चाहिए तो उन्हें फ्लैट इंटरेस्ट रेट पर ही लोन लेना पड़ता है।
  2. बड़ी बैंक या फाइनेंस कंपनी सभी को लोन नहीं देती। लोन देते समय वे कई प्रकार के डॉक्यूमेंट्स मांगती है। और ये डॉक्यूमेंट्स सभी के पास उपलब्ध नहीं होते।
  3. कई बार पैसे की अर्जेंट जरूरत होती है और बैंक से लोन लेने में समय लगता है।
  4. क्योंकि बैंक लोन देने से पहले सिबिल स्कोर चैक करता है। और छोटे फाइनेंसर बिना सिबिल चैक के लोन दे सकते हैं।
  5. क्योंकि बैंक हमें पर्सनल रिलेशन पर लोन नहीं देती। और छोटे फाइनेंसर से आपके रिलेशन अच्छे हैं या अपने पहले कभी उनका लोन पेमेंट सही समय पर किया है तो आपको आसानी से लोन मिल जाएगा।

ब्याज कितने प्रकार की होती है? (What are the types of interest?)

हो सकता है आज तक आप सोचते हों ब्याज की दर एक ही होती है। पर ब्याज का हिसाब की प्रकार से रखा जाता है। ब्याज के मुख्य दो प्रकार होते हैं।

  1. सिंपल इंटरेस्ट (Simple Interest): यह इंटरेस्ट आपको एफडी, आरडी और बचत खाते (FD, RD and Saving Account) की रकम पर मिलता है।
  2. कंपाउंड इंटरेस्ट (Compound Interest): यह दुनिया का सर्वश्रेष्ठ इंटरेस्ट होता है। इस जो व्यक्ति कामना जनता है। उसे धनी व्यक्ति बनने में बहुत कम समय लगता है। कंपाउंड इंटरेस्ट से आपका पैसा दिन और रात बड़ता रहता है। इसे कमाने में थोड़ा समय जरूर लगता है। पर एक बार अपने इस कामना सिख लिया तो आपको दुनिया की कोई भी तागद अमीर बनने से नही रोक सकती। हिंदी में इसे चक्रवृद्धि ब्याज भी कहते है।

ब्याज कितने प्रकार से कैलकुलेट हो सकती है? (How can interest be calculated?)

ब्याज का हिसाब कई प्रकार से किया जा सकता है। जो इस प्रकार है।

  1. रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट (Reducing interest rate): रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट घटते क्रम में लगता है। हर महीने जो मूल रकम बच जाती है यह उसी पर लगता है। इनमें लोन एक निश्चित समय सीमा में समाप्त हो जाता है।
  2. फ्लैट इंटरेस्ट रेट (Flat interest rate): फ्लैट इंटरेस्ट में ब्याज और मूल धन अलग अलग कैलकुलेट होते है। फ्लैट इंटरेस्ट रेट पर लोन महगा होता है। इसलिए इससे जितना हो सके अवॉइड करें।
  3. फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट (Fixed interest rate): फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट रिड्यूसिंग इंटरेस्ट रेट की तरह ही कैलकुलेट होती है पर कई बार आरबीआई (RBI) ब्याज दर बड़ा देती है। इस समय आपकी ब्याज वही लगती है जो चल रही होती है। पर जिस समय आप लोन लेते है उस समय आपको 1% ब्याज ज्यादा लेनी पड़ती है। और अगर भविष्य में आरबीआई (RBI) ब्याज दर कम कर देती है। तो भी आपकी ब्याज दर वही रहती है। इस इस्तिथी में आपको ब्याज का नुकसान हो जाता है। इसलिए आप इसे अवॉइड कर सकते हैं।

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